सोमवार, 17 मार्च 2008

जनसंचार में हिन्दी

व्यक्ति और समाज के बीच संबंध स्थापित करना और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति/व्यक्तियों तथा एक समाज से दूसरे समाज/समाजों के बीच विचारों आदान-प्रदान के लिये संचार, सेतु का काम करता है संचार व्यक्ति तथा समाज का सहज स्वभाव है
मनुष्य के जीवन में यह कला सबसे प्राचीन और मौलिक रुप में रही हैएक बच्चा पैदा होते ही अपने रोने कि आवाज के साथ अपने आगमन की सूचना दे देता है उसका रोना चिल्लाना उसके संचार के भावों की ही अभिव्यक्ति है इंसान में यह प्रव्ऋति आदिम काल से रही है
संचार एक मूलभूत वैयक्तिक एवं सामाजिक आवश्यकता तथा सार्वभौमिक मानवाधिकार हैइसके बिना जीवन अर्थहीन और उद्देश्यहीन हो जाता है संचार के बिना जीवन में संपुर्णता नहीं होती, इसके बिना किसी समुदाय या मानव गरिमा की स्थापना की कल्पना भी नहीं की जा सकती है समय के साथ जैसे-2 मनुष्य का विकास होता गया साथ ही संचार के माध्यम का रुप भी विकसित होता गया संचार की प्रक्रिया समाचार-पत्र, आकाशवाणी और दूरदर्शन के आविष्कार और प्रसार के साथ तेजी से फैलती गई संचार का विस्त्ऋत रुप जनसंचार के नाम से जाना जाता है जिसका मूल व्युत़पतिक अर्थ 'भावों तथा विचारों का सामूहिक आदान-प्रदान है'
जार्ज ए. मिलर ने कहा है " जनसंचार का अर्थ सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहूँचाना है"(जनसंचार माध़यमों में हिन्दीः चँद्र कुमार, दि. क्लासिकल पब्लि.)

भाषा जनसंचार द्वारा विचारों को संप्रेषित करने का सबसे मुख्य माध्यम है माध्यमों की भाषा अर्थात् प्रयोक्ता जिस भाषा का इस्तेमाल करता है, यदि उस भाषा को श़्रोता या पाठक सहजतापूर्वक समझकर मौखिक या लिखित संप्रेषण स्थापित करतें हैं तो वही भाषा सफल संप्रेषण माध्यम होती है भाषा के बिना जनसंचार का लक्ष्य पुरा नहीं हो सकता, चाहे माध्यम कुछ भी हो इसलिये जनसंचार के सभी माध्यमों के लिये हर युग में किसी न किसी भाषा का उपयोग अनिवार्यतः होता आया है भाषा ने जनसंचार के कार्य को सुगम बनाया है , आकर्षण प्रदान किया है और विस्तार भी दिया है यही कारण है कि हम जनसंचार के सर्वसुलभ साधन के रुप में भाषा का उपयोग करते हैं

हमारे देश की राजभाषा और सबसे बडी संपर्कभाषा हिन्दी है हिन्दी का क्षेत्र बहुत व्यापक है देश के लगभग 11 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में मुख्य रुप से बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है देश की जनसंख्या का लगभग 42 प्रतिशत भाग हिन्दी बोलने वालों का है, बाकि भाग में अनेक भाषाएँ हैं और वहाँ भी लोग टूटी-फूटी हिन्दी बोल ही लेते हैं और समझते भी हैं
जनसंचार माध्यमों में हिन्दी भाषा के प्रयोग होने के पिछे हिन्दी का व्यापक क्षेत्र ही है इसी व्यापक क्षेत्र को ध्यान में रखकर इन माध्यमों द्वारा हिन्दी का प्रयोग हो रहा है उदारीकरण, भूमंडलीकरण,व्यावसायीकरण के युग की शुरुआत के साथ ही उपभोक्तावाद का भी जन्म हुआ और उपभक्ताओं को लुभाने के लिये व्यापार को जनसंचार माध्यमों के साथ जोड दिया गया

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