सोमवार, 21 दिसंबर 2009

कुछ कविताएं

हमारे मित्र मन्नू राय की कुछ कविताएं हैं जिन्हें पढ़ने के बाद, आज के दौर में जब हर तरफ कुछ अजीब –सा लगता है, ये कविताएं आपको जरूर प्रासंगिक लगेंगी।
पहचाने कैसे
दोनों के चेहरे
एक-से हैं।
सच, सच है
सच की तरह।
झूठ, झूठ भी है
झूठ की तरह।
दोनों के चेहरे हैं
एक जैसे।
इन दोनों को
कोई पहचाने कैसे ?

नया इंकलाब लाओ यारों !
पुराना इंकलाब छोड़ो
नया इंकलाब लाओ यारों,
जो रह गये हैं बेहिसाब
उनका हिसाब दिला दो यारों।

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