सोमवार, 14 सितंबर 2009

हिन्दी दिवस पर हमारे मित्र मनीष के शब्द

जिस देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी हो उस देश में एक दिन (१४ सितंबर) हिन्दी दिवस के रुप में मनाने की एक औपचारिक परम्परा की नींव एक प्रायोजित रुप से उनके द्वारा डाल दी गई जिनकी शिक्षा-दीक्षा oxford और cambridge में संपन्न हुई तथा उनकी औलाद भी देश-विदेश के अंग्रेजी शिक्षण-संस्थाओं से पढ़े-बढ़े हैं।
यह एक सुनियोजित शैक्षिक और भाषाई राजनीति है ताकि एक खास वर्ग, समुदाय, पीढ़ी की उन्नति हो और निम्नमध्य वर्गीय समुदाय उस खास वर्ग द्वारा फैलाई शैक्षिक, राजनैतिक, आर्थिक,औद्योगिक, तकनीकी विसातों पर मोहरा बन सकें और अपने जीवन को धन्य-धन्य हो सकें ।
इसकी सबसे बड़ी मिसाल तो यही है कि आज भी हमारे यहां लगभग सारी अच्छी किताबें english में ही उपलब्ध हैं जबकि होना ये चाहिए था कि सारे भारतीय भाषाओं का भी हिन्दी- अनुवाद करना चाहिए था ताकि एक परिनिष्ढित हिन्दी का विकास पुरे भारत में होता ....
शेष फिर कभी

3 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

हमारा सबसे बडा दुर्भाग्‍य है कि हमारे यहां लगभग सारी अच्छी किताबें अंग्रेजी में ही उपलब्ध हैं .. कोई उसका अनुवाद तक नहीं करते .. ब्‍लाग जगत में आज हिन्‍दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्‍छा लग रहा है .. हिन्‍दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

आप को हिदी दिवस पर हार्दीक शुभकामनाऍ।

पहेली - 7 का हल, श्री रतन सिंहजी शेखावतजी का परिचय

हॉ मै हिदी हू भारत माता की बिन्दी हू

हिंदी दिवस है मै दकियानूसी वाली बात नहीं करुगा-मुंबई टाइगर

Udan Tashtari ने कहा…

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.

जय हिन्दी!